सामन्तवादी
प्रसाशनिक ढाँचे तथा कार्यशेली एवं रीतिरिवाजों पर आधारित साम्प्रदायिक कांग्रेस
तथा इसके विरोध में जन्मे अन्य सभी राजनितिक दल जो की साम्प्रदायिकता अथवा जातिवाद
को हथियार बना कर राजनीती करते आ रहे हैं इन सभी के मुंह पर आम आदमी पार्टी के
माध्यम से आम आदमी ने एक करारा तमाचा मारा है जिसका इन्हें कोई तोड़ नज़र नहीं आ रहा
/
पिछले ६६ वर्षों से
सता सुख भोग रहे तथा अपनी सुरक्षा एवं सामन्तवादी रस्मों से सराबोर कार्यशेली के
खर्चों से आम आदमी को लादे जा रहे यह साम्प्रदायिक सामन्तवादी राजनितिक दल अब तक
केवल लूट तथा झूठ पर आधारित अंग्रेजों द्वारा रचित प्रसाशनिक , सुरक्षा एवं कही
जाने वाली न्याय व्यवस्था को केवल अपना कमिशन लेकर संचालित करते आ रहे हैं /
इन सभी राजनितिक
दलों ने प्रजातंत्र का अर्थ निकाल रखा है जनता को केवल मात्र वोट देने तक सिमित
रखना / वोट हासिल कर केवल सता को संचालित करने का अधिकार प्राप्त करना तथा फिर
शोषण पर आधारित प्रसाशन तंत्र को जवाबदेही से पूर्ण मुक्त अफसरशाही से संचालित करने के लिए नियुक्ति एवं तबादलों में भारी रकम वसूलना तथा विकास के सभी कार्यों में चन्दा
वसूली ज़ारी रखना ताकि अगला चुनाव लड़ा जा सके
और सम्पूर्ण प्रसाशन तंत्र को अपनी तथा अपने रिश्तेदारों की शानोशौकत एवं
सुख सुविधा के लिए इस्तेमाल करना / राजनीती का जो व्यवसायीकरण कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के पूर्व आये इसके समीपी एवं विरोधी सभी राजनितिक दलों ने किया है उस व्यवसायिक माडल की लूट को देख के तो शायद ईस्ट इंडिया कम्पनी के अँगरेज़ भी मात खा जायेंगे /
कर्नाटका के पूर्व मुख सचिव आईटी विवेक कुल्करनी ने अपने २८ अक्तूबर २०१० के हिन्दू बिजनस वर्ल्ड में छपे अपने लेख में साफ़ सब्दों में यह तुलना की है की सता में आकर सरकार चलाना कितना लाभ्शाली व्यवसाय है / एक रुदिवादी आंकडे के मुताबिक़ केवल कर्नाटका के आकार की सरकार ही वर्ष में ३ हज़ार करोड़ विभिन ट्रांसफर पोस्टिंग तथा कमिशनों में प्राप्त करती है और इसी लिए इनका एक विधायक भी २५ करोड़ में बिकता है तथा पांच सितारा होटल में अगर आप उसे ठहरा सकते हैं तो आपके साथ कहीं भी सफ़र करने को तैयार रहता है /
इन भारी भरकम घूस तथा मिलने वाले कमिशन के अलावा इन सभी
राजनितिक दलों की कार्यशेली का एक प्रमुख हिसा है आम आदमी को अपनी लाल बत्ती एवं
सिकोरटी के वि आई पि कल्चर से त्रस्त कर भयभीत रखना ताकि वेह इनकी लूट खसोट पर
आवाज़ ही उठाने की हिम्मत न जुटा सके / और यदि कोई आवाज़ उठाये भी तो पुलिस के गुंडे
तुरंत गोली चला कर लाठी चला कर ऐसे चन्द लोगों पर तुरंत मुकदमा दर्ज कर झूठ को
बढ़ावा देने वाली कार्यशेली पर आधारित अंग्रेजी न्यायशाला के हवाले कर दण्डित करने
में सक्षम रहते आये हैं /
लूट की इस व्यवस्था
का प्रमुख हिस्सा केवल ढोंग से परिपूर्ण अंग्रेजी पुलिस व्यवस्था है जो की
प्रतिनिधि के चुने जाते ही उसे वि आई पि का दर्ज़ा दे कर उसे चंद सिपाही दे देती है
वेह सिपाही जो की असली आफत आने पर अपनी स्वयम की रक्षा करने में भी असमर्थ हो भाग
खड़े होते हैं और पुलिश के अधिकारी स्वयं मारे जाते रहे हैं / अभी हाल में उतरप्रदेश में एक डि.एस.पि. तब मार गया जब उसके अंगरक्षक पुलिस के सिपाही उसे छोड़ कर भाग खड़े हुए/ इनकी ट्रेनिंग का स्तर तो ऐसा है की आवश्यकता पड़ने पर यह केवल आतंकवादियों का ही काम हल्का करते हैं और सुरक्षा देने की प्रकिरिया में अपने स्वयम के protectee को स्वयम की ही गोली से मार लेते हैं और फिर चाहे वो इनका अपना DIG हो या Dy.S.P. और चाहे इंस्पेक्टर हो इनकी सुरक्षा प्रकिरिया में चलाई गई गोली कोई भेद नहीं करती और तुरन्त जान ले लेती है/ ओडिशा पुलिश के IPS officer DIG Jaswinder Singh, UP Police Dy.S.P. जियाउलहक़ और दिल्ली पुलिश के Inspector Mohan Chand Sharma इसी प्रकार की गोली के शिकार हुए थे वरना दिल्ली पुलिश को स्वतंत्र जांच करवाने कभी कोई संकोच न होता / सुरक्षा के नाम पर वर्तमान की सम्पूर्ण पुलिश व्यवस्था अपने आप में बहुत बड़ा ढोंग है तथा आम आदमी के जीवन को एक बहुत बड़ा खतरा /
बेचारे नेता को सुरक्षा देने के नाम पर पुलिस के सिपाही
सिकोरटी का बहुत बडा ढोंग खड़ा कर देते हैं और खाली हाथ आम आदमी को नेता से दूर
रखने में सक्षम रहते हैं ताकि कोई भी गरीब उसकी प्रसाशन द्वारा की जा रही लुट की बात नेता के सामने न रख दे तथा नेता
अपने चंद गुर्गों को खुश कर अपना समय पूरा करते रहते हैं /
आज तक इन ढोंगी
नेताओं ने आम आदमी को संसद की मर्याद के ढोंग तले दबा कर रखा और अपने चुने जाने
मात्र को इस बात का अधिकार समझ लिया की आम आदमी को लुटने और नोचने के लिए यह इस
संसद नामी भवन में बैठ कर कोई भी ऐसा कानून बनाते रहेंगे जिससे आम आदमी को उसके
जीवन तथा स्वतंत्रता एवं मेहनत की कमाई से जब चाहे वंचित करते रहें और उससे लुटे
जाने वाले पैसे को यह अपनि सुरक्षा के
ढोंग एवं सुख सुविधा पर जैसे मर्ज़ी खर्च करते रहें /
परन्तु आम आदमी के नवनिर्वाचित नेताओं ने सम्पूर्ण प्रजातान्त्रिक प्रकिरिया को शुरुआत से न केवल अपनाया है उसे अपने जीवन पर खरे रूप से उतार कर जीना आरंभ भी किया है जो की भारतीय प्रजातंत्र की रुकी हुई यात्रा की शुभ शुरुआत है/ तथा ढोंगी वंशवाद तथा सामन्तवाद पर आधारित पूर्व राजनितिक दलों के मुंह पर एक करारा तमाचा है/
प्रतिद्वंदी राजनितिक दलों को इस सम्पूर्ण खेल को अब आम आदमी पार्टी की नीतियों के मुताबिक खेलना होगा अन्यथा देश की जनता उन्हें तथा उनके ढोंगी नेताओं को अन्धकार के गर्त में धकेलते देर नहीं लगाएगी /
जब जागो तभी सवेरा / अब जागो /